हमारी सामाजिक व संवेधानिक व्यवस्था के अनुसार समाज अपने में से एक रहनुमा अर्थात एक नेता का चुनाव करता है जो कि उन्हें आगे की राह दिखाते हुए उनका पथ प्रदर्शक हो ! हर जागरूक सामाजिक नेता का फर्ज होता है कि वह अपने समाज की सुरक्षा करे , लेकिन उल्टे समाज के पैसे से ही आज उन पथ प्रदर्शक कहे जाने वाले नेताओं की सुरक्षा हो रही है ! जो नेता काली वर्दीधारी ब्लैक कैट कमांडो से घिरकर चलेगा वह अपने समाज की क्या सेवा व सुरक्षा करेगा बल्कि वह स्वयं ही समाज के द्वारा अपनी सुरक्षा करा रहा है ! पहले तो यह सोचने की बात है कि जब संविधान ने सभी लोगों को बरावर माना है तो फिर यह विशिष्ट व्यक्ति शब्द कहाँ से आ गया , दूसरी बात यह है कि जब यही विशिष्ट व्यक्ति आधी सुरक्षा को अपने ऊपर ले लेंगे तो आम जनता की सुरक्षा कैसे होगी और कोन करेगा ! देखा जाय तो ब्लेक कैट कमांडो के द्वारा उन लोगों की सुरक्षा नही होती बल्कि यह आज एक स्टेटस सिम्बल बन गया है ! क्या इंदिरा गाँधी , राजीव गाँधी और जनरल वैद्य जैसे लोगों की सुरक्षा व्यवस्था में कोई कमी थी , फिर भी उन लोगों की सुरक्षा नहीं हो पाई ! गृह मंत्रालय को चाहिए कि उसे उन विशिष्ट व्यक्तियों की पद के हिसाब से ( न कि नाम से ) एक सूची प्रकाशित करे और एक नियमावली भी बनाये , उसी आधार पर बिना किसी पक्षपात के उन लोगों को सुरक्षा प्रदान की जाय ! शायद ही हमारे संविधान निर्माताओं ने ऐसी कल्पना की होगी कि कुछ लोग तो उस समय के राजा महाराजाओं से भी बेहतर सुख सुविधा युक्त राजसी ठाट वाट से भी बढ़कर जीवन जीयें , और कुछ लोग अपने पेट की खातिर दिन रात खून पसीना बहाते रहें !
सरकार को इन नेताओं व विशिष्ट व्यक्तिओं की सुरक्षा के लिए एक विशेष पुलिस बल का गठन करना चाहिए ताकि वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था आम जनता को मुहैया हो सके और जनता को यह भी पता चलता रहे की जिन लोगों को हमने अपनी सुरक्षा के लिए चुना था , अब उन्हीं लोगों के ऊपर गरीब जनता की खून पसीने